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गुरुग्राम से भाजपा प्रत्याशी पर मोदी से बैर नहीं, राव तेरी खैर नहीं, जोर पकड़ने लगा है नारा : सुत्र

सत्य ख़बर गुरुग्राम सतीश भारद्वाज :

हरियाणा में लोकसभा चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है, अगर हम गुरुग्राम सीट की बात करें तो यहां पर लोकसभा चुनाव की गरमा गरमी कोई खास दिखाई नहीं पड़ रही है। जबकि भाजपा कार्यकर्ता गुड़गांव में आए दिन बैठकर चुनाव जीतने के दावे कर रही है जिनमें कोई दम नजर नहीं आ रहा है क्योंकि इनमें अधिकतर भ्रष्ट निगम पार्षदों का बोलबाला नजर आ रहा है। भाजपा ने गुरुग्राम लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे इंद्रजीत सिंह पर एक बार फिर से दाव खेला है। वहीं अभी तक कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। भाजपा ने सांसद को लेकर इस क्षेत्र में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। राजस्थान में दिया गया नारा “मोदी तेरे से बैर नहीं, राव तेरी खैर नहीं” अब गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भी लोगों की जुबान पर सुना जा सकता है। लोगों को मलाल है कि वोट लेने के बाद पूरे 5 वर्ष तक माननीय सांसद के दर्शन तक नहीं होते। क्षेत्र की जनता का कहना है कि इस क्षेत्र ने हर बार उनको रिकॉर्ड तोड़ मतों से चुनाव जीतने के बाद आज तक धन्यवाद करने भी नहीं आए। विपक्ष तो पहले ही उन पर यह आरोप लगाती रही है कि वह हमेशा ड्राइंग रूम में बैठकर राजनीति की है इस क्षेत्र की जनता के दुख सुख और विकास से उनका कोई वास्ता नहीं रहता। गत लोकसभा चुनाव में भी उन्हें जनता की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा था। नाराजगी को देखते हुए ही घोषणा की थी कि इस बार चुनाव जीतने के बाद हर बड़े गांव में जाकर धन्यवाद दौरा करेंगे लेकिन उनकी यह घोषणा पूरे 5 वर्ष बीतने के बाद भी मात्र घोषणा ही रह गई। लोगों में चर्चा यह भी है कि भाजपा पिछले 10 वर्षों में राव का कोई मजबूत विकल्प नहीं खोज पाई। साथ ही विपक्ष के पास भी कोई मजबूत चेहरा नहीं था ऐसे में लोगों की मजबूरी थी कि राव को वोट देने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। आज भी लगातार 20 वर्षों तक केंद्र में वजीर रहने के बावजूद भी मोदी के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं। विपक्ष लगातार उनको चुनौती देती रही है कि वे अपने द्वारा कराये गये विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाएं लेकिन राव केवल मोदी की गारंटी ही जनता को गिना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फरवरी व मार्च में उनके लोकसभा क्षेत्र में दो रैलिया कर चुके है। उन्हें पिछली बार की तरह इस बार भी केवल मोदी के नाम पर ही भरोसा है। चर्चा तो यहां तक है कि जब भी कोई उनसे विकास कार्यों पर चर्चा करता है तो वह सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि जनता ने वोट नरेंद्र मोदी को दिया है उन्हें नहीं। राव से न केवल जनता ही खफा है बल्कि पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की भी नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ेगी। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े रणधीर सिंह कापड़ीवास की पार्टी में वापसी हो गई है लेकिन रिश्तों में आई दरार अभी तक नहीं भरी है। बादशाहपुर में राव नरवीर सिंह, दो बार उनके सामने चुनाव लड़ चुकी सुधा यादव, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भी नाराजगी राव को झेलनी पड़ सकती है। लोगों में चर्चा है कि अगर कांग्रेस किसी मजबूत चेहरे को मैदान में उतारती है तो इस बार चुनाव रोचक हो सकता है।

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